देश में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 1.5 लाख के करीब पहुंच गई है। मौत का आंकड़ा भी 4 हजार के पार पहुंच गया है। मामले बढ़ने का एक कारण टेस्टिंग का बढ़ना भी है। पिछले एक हफ्ते से रोजाना करीब 1 लाख टेस्ट हो रहे हैं। और 26 मई तक 31.26 लाख से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अब पूरा फोकस टेस्टिंग पर है।

देश में कितने लैब
आईसीएआर के मुताबिक, 26 मई तक देश में आरटी-पीसीआर के लिए 453 लैब हैं। इनमें से 304 सरकारी और 149 निजी लैब हैं। आरटी-पीसीआर के अलावा ट्रूनेट टेस्ट के लिए 105 और सीबीएनएएटी टेस्ट के लिए 54 लैब हैं। हालांकि, कोरोना की जांच के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट ही सबसे ज्यादा जरूरी है।

लेकिन, अभी भी देश के 531 जिलों में तो कोरोना की जांच के लिए आरटी-पीसीआर टेस्टिंग लैब ही नहीं है। देश में 37 राज्यों में 733 जिले हैं। हमारे पास 717 जिलों का डेटा है। इनमें से 186 जिले ही ऐसे हैं, जिनमें टेस्टिंग लैब है। कुछ जिलों में एक से ज्यादा टेस्टिंग लैब भी है। जैसे- मुंबई में ही आरटी-पीसीआर के लिए 9 टेस्टिंग लैब है।
427 जिलों में कम से कम एक मरीज, लेकिन यहां टेस्टिंग लैब नहीं
717 जिलों में से 427 जिले ऐसे हैं, जहां कम से कम एक कोरोना संक्रमित जरूर है। फिर भी यहां पर एक भी टेस्टिंग लैब नहीं है।इसका मतलब तो यही हुआ कि अगर इन जिलों में कोरोना संक्रमित मिलता भी है, तो उसके टेस्ट की रिपोर्ट आने में ही टाइम लग जाएगा। क्योंकि, उन्हें आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए सैंपल दूसरे जिले में भेजना पड़ता है।

वहीं, 104 जिले ऐसे भी हैं जहां कोरोना का न ही कोई मरीज है और न ही टेस्टिंग लैब।

सबसे प्रभावित 10 राज्य : तमिलनाडु के 32 में से 28 जिलों में लैब

कोरोना से सबसे ज्यादा महाराष्ट्र प्रभावित हुआ है। यहां 26 मई तक 52 हजार 667 मरीज आ चुके हैं। यहां के 36 में से 16 जिलों में ही आरटी-पीसीआर के लिए टेस्टिंग लैब है। जबकि, कुल मिलाकर यहां पर 62 टेस्टिंग लैब है।कोरोना मरीजों की संख्या के मामले में दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है। यहां 17 हजार 82 केस आ चुके हैं। तमिलनाडु देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां के 32 में से 28 जिलों यानी 87.5% जिलों में टेस्टिंग लैब है। सबसे ज्यादा टेस्टिंग लैब के मामले में भी तमिलनाडु पहले नंबर पर है। यहां के 28 जिलों में 65 लैब हैं।

अच्छी बात ये भी कि, 1 अप्रैल के बाद से अब तक हर 10 लाख लोगों पर टेस्टिंग 70 गुना बढ़ी
1 अप्रैल को देश में हर 10 लाख लोगों पर सिर्फ 32 लोगों की ही कोरोना जांच हो रही थी। 30 अप्रैल तक ये आंकड़ा 32 से बढ़कर 616 हो गया।

अभी 24 मई तक के ही आंकड़े मौजूद हैं। और इसके मुताबिक, 24 मई को देश में हर 10 लाख लोगों में से 2 हजार 159 लोगों की कोरोना जांच हो चुकी है। यानी, 1 अप्रैल के बाद से हर 10 लाख लोगों पर कोरोना टेस्टिंग के आंकड़े 24 मई तक करीब 70 गुना तक बढ़ गए।

वहीं, राज्यों की बात करें तो दिल्ली में हर 10 लाख लोगों में से सबसे ज्यादा 8 हजार 494 लोगों की टेस्टिंग हो रही है। महाराष्ट्र में हर 10 लाख लोगों में से 2 हजार 909 लोगों की टेस्टिंग हुई है।जबकि, बिहार में 24 मई तक हर 10 लाख लोगों में से सिर्फ 524 लोगों की ही टेस्टिंग हुई है।

(नोट : ये सभी आंकड़े आईसीएमआर और स्टेट हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से जारी हेल्थ बुलेटिन से लिए गए हैं। टेस्टिंग लैब में सिर्फ आरटी-पीसीआर को ही शामिल किया गया है। इसमें ट्रूनेट और सीबीएनएएटी टेस्ट के लिए बनीं लैब के आंकड़े नहीं लिए हैं।)



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