भारतीय मूल के ब्रिटिश वैज्ञानिक ने ऑनलाइन कैलकुलेटर बनाया, ये लक्षणों के आधार पर जीने-मरने की भविष्यवाणी करेगा
कोरोनावायरस से फैली महामारी के कारण बिगड़ते हालात के बीच दुनियाभर में लगातार बड़ी मात्रा में पीड़ितों और मरने वालों का डाटा जमा किया जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से अब यही डेटा संक्रमित लोगों को बचाने के काम आएगा।
इसी कड़ी में भारतीय मूल के ब्रिटिश वैज्ञानिक डॉ. अमिताव बनर्जी के नेतृत्व में एक ऐसा ऑनलाइन कैलकुलेटर बनाया है जोकिसी भी व्यक्ति के कोरोनावायरस से मरने के जोखिम का अनुमान लगा सकता है। वर्तमान में ये टूल सिर्फ ब्रिटेन के डेटा पर बनाया गया है।इससे मिला डाटा कमजोर रोगियों को लेकर ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विसेज के लिए भी मददगार होगा।
लॉकडाउन उठाने को लेकरचेतावनी भी देगा
http://covid19-phenomics.org/लिंक से खुलने वालाये ऑनलाइनकैलकुलेटर टूल यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के शोधकर्ताओं ने बनाया है। इस प्रोटोटाइप टूल कोब्रिटेन की स्थितियों के अनुसार व्यापक अध्ययन के एक हिस्से के रूप में बनाया गया है।
यह कोरोनोवायरस लॉकडाउन को जल्दी से उठाने की चेतावनी भी देता है, जिससे एक वर्ष के भीतर 37 हजारसे 73 हजारअतिरिक्त मौतें हो सकती हैं।शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए 38 लाख हेल्थ रिकॉर्ड के आंकड़ों को देखा और इसके निष्कर्षों में यह निकल कर आया कि इंग्लैंड में संक्रमण की दर 10 प्रतिशतहै जबकि ज्यादाजोखिम वाले20 प्रतिशत लोग हैं।
उम्र, लिंग और बीमारियों जैसी जानकारी भरनी होगी
इसकी मदद से उम्र, लिंग और पहले से मौजूद बीमारियों जैसे फैक्टर्स के आधार पर एक साल के दौरान कोविड-19 के कारण होने वाली मौत के जोखिम की भविष्यवाणी की जा सकती है। यह टूल को संक्रमण के जोखिमों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहे तनाव जैसे कारणों को भी ध्यान में रखकर नतीजे देताहै।
एक मरीज के डेटा से मिलेगी कई जानकारियां
इसे बनाने वाली टीम के प्रमुख लेखक डॉ. अमिताव बनर्जी ने समझाया- उदाहरण के लिए, हम इस टूल में कुछ जानकारियां भरने के बाद दिखा सकते हैं कि सांस की गंभीर बीमारी वाले एक 66 साल के व्यक्ति के लिए अगले वर्ष तक मरने का 6 प्रतिशत खतरा है।
इससे ये भी पता चल जाता है कि पूरे देश में इसी उम्र के 25 हजार पुरुष मरीज भी जोखिम में हैं।इस तरह ये कैलकुलेटर बता देगा कि अगर सालभर में ऐसे लक्षणों वाले मरीजों की मौत होती हैं तो उनमें से ऐसे मरीजों की संख्या कितनी होगी।
उन्होंने कहा,"हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि इन कमजोर और संवेदनशील बुजुर्गो वाले समूहों में मृत्यु दर काफी बढ़ने की आशंका है और इससे हजारों मौतें हो सकती हैं।"
ब्रिटेन में लगभग 84 लाख लोग खतरे में
द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि पूरे ब्रिटेन में लगभग 84 लाख लोग ऐसे हैं जो कोविड-19 संक्रमण के प्रति बेहद संवेदनशील हैं।इस स्टडी के एक अन्य लेखक प्रोफेसर हेम हेमिंग्वे ने कहा कि संक्रमण की दर को कम रखने से इन संवेदनशील लोगों को सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है, लेकिन मौतों को रोकने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा देखभाल जारी रखना जरूरी है।आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
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