कोरोना महामारी ने न्यायपालिका को भी कामकाज के तरीके के साथ ड्रेस कोड बदलने पर मजबूर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में बुधवार काे उस समय नया अध्याय जुड़ गया, जब पहली बार जजों ने बिना जैकेट, कोट और गाउन पहने सुनवाई की। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि कोरोना संकट बने रहने तक के लिए नए ड्रेस कोड का आदेश जारी करेंगे। देर शाम वकीलों और जजों के लिए नया ड्रेस काेड जारी कर दिया गया।
पुरुष सफेद कमीज और बैंड, जबकि महिलाएं सफेद साड़ी/सूट और बैंड पहन सकेंगीं
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार काे वाॅट्सएप पेमेंट सर्विस काे पूरी तरह बंद करने के मामले को लेकर एक याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई चल रही थी। चीफ जस्टिस बोबडे और साथी जज जस्टिस ऋषिकेश राय जैकेट, कोट व गाउन के बिना केवल सफेद कमीज और गले का बैंड पहने हुए थे। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उनसे पूछ लिया कि पीठ ने गाउन क्यों नहीं पहना है?

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर चिकित्सकों की राय मांगी थी। उनके मुताबिक, भारी और फैलाव वाले कपड़ों से यह वायरस आसानी से फैलता है। इस पर विचार करते हुए हम केवल सफेद कमीज और बैंड पहन कर ही सुनवाई कर रहे हैं। हम वकीलों के लिए भी इस संदर्भ में विचार कर रहे हैं।

इसके बाद एक अन्य सुनवाई के दाैरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी सफेद शर्ट और बैंड लगाए नजर आए। देर शाम जारी सर्कुलर के अनुसार पुरुष वकील सफेद कमीज औरबैंड, जबकि महिलाएं सफेद साड़ी/सूट और बैंड पहन सकेंगीं।
आजादी के बाद न्यायपालिका में पहली बार ऐसा बदलाव हो रहा
मालूम हो, देश की आजादी के बाद न्यायपालिका में पहली बार ऐसा बदलाव हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बीएस चौहान के मुताबिक, संविधान में ऐसा प्रावधान है कि अपरिहार्य परिस्थितियों या डॉक्टर की सलाह पर ड्रेस कोड में छूट दी जा सकती है।
अधिकारियों, कर्मचारियों काे अप्रैल में ही ड्रेस कोड से राहत मिल चुकी
सुप्रीम कोर्ट अपने कर्मचारियों और अधिकारियों काे ड्रेस कोड से पहले ही राहत दे चुकी है। 24 अप्रैल को जारी आंतरिक सर्कुलर में कहा गया था कि विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए पहने जाने वाले कपड़ों को रोज धोना चाहिए। कोट-टाई रोज धाेना संभव नहीं है। लिहाजा अगले आदेश तक सभी अधिकारी और कर्मचारी बिना कोट-टाई के ड्यूटी पर आएंगे।



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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बीएस चौहान के मुताबिक, संविधान में ऐसा प्रावधान है कि अपरिहार्य परिस्थितियों या डॉक्टर की सलाह पर ड्रेस कोड में छूट दी जा सकती है।